Prashant Kishor's attack on Rahul

Prashant Kishor’s attack on Rahul : आंबेडकर का सम्मान चाहिए तो लालू के खिलाफ बोलो |

विवाद की पृष्ठभूमि- इतनी गरमागरमी क्यों?

Prashant Kishor’s attack on Rahul 11 जून को बिहार के पटना में लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित सभा में राजद के किसी कार्यकर्ता ने लालू के पास जमीन पर डॉ. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर रख दी, जिसे कैमरे में कैद कर लिया गया।

बिहार एससी/एसटी आयोग ने 15 दिन में जवाब देने का आदेश दिया और लालू के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी।

WhatsApp Logo WhatsApp Channel
Join Now
Telegram Logo Telegram Group
Join Now

Prashant Kishor’s attack on Rahul लालू के जन्मदिन के जश्न की घटनाएं

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कोई व्यक्ति लालू के पैरों के पास अंबेडकर की तस्वीर रखता है- लालू इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, बस कार्यक्रम में व्यस्त रहते हैं।

Prashant Kishor's attack on Rahul

आयोग का नोटिस और भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया

राज्य एससी/एसटी आयोग ने लालू से “15 दिन के भीतर यह बताने को कहा कि एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए?”

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू के भील समकक्ष जैसे भाजपा नेताओं ने लालू की गंभीर लापरवाही पर सवाल उठाए।

Prashant Kishor’s attack on Rahul प्रशांत किशोर की चुनौती – राहुल गांधी को क्यों निशाना बनाया जाए?

बिहार के स्टार स्ट्रैटजिष्ट और ‘जन सुराज‘ पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर टीम आरजेडी का सहयोगी होने का आरोप लगाया। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किशोर ने राहुल से पूछा: “अगर आपमें ताकत है, तो हमें लालू के खिलाफ़ बताइए – क्या आपके पास आवाज़ ह्?” किशोर ने कांग्रेस को ‘आरजेडी का पिछलग्गू’ कहा और उसकी लाचारी पर सवाल उठाए।

Prashant Kishor's attack on Rahul

Prashant Kishor’s attack on Rahul राहुल गांधी की चुप्पी – कांग्रेस की रणनीति क्या है?

हाल ही में दरभंगा अंबेडकर छात्रावास दौरे को लेकर चर्चा में रहे राहुल गांधी इस मुद्दे पर चुप हैं। कांग्रेस की बेबाकी पर सवाल उठाया जा रहा है – अगर आपमें ताकत है, तो बोलिए, या यह आरजेडी के साथ गठबंधन का हिस्सा है?

बिहार का सत्ता समीकरण और विपक्ष की सोच

  बिहार की राजनीति अब ‘महागठबंधन’ और एनडीए के बीच टकराव का खेल बन गई है।

  राजद, जदयू, कांग्रेस, जदयू आदि राजनीतिक दल सीधे तौर पर दलित-महादलित दुश्मनी का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

Prashant Kishor's attack on Rahul

Prashant Kishor’s attack on Rahul फंक्शन ऑफ एससी/एसटी आयोग और कानूनी अनुमान

एससी/एसटी आयोग ने गोल्डस्मोक के ज़रिए वायरल हुई घटना पर अदालत जैसा रुख़ अपनाया है और जवाब मांगा है।

अगर लालू जवाब नहीं देते हैं, तो यह एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम का उल्लंघन हो सकता है- जिसके दायरे में ऐतिहासिक रूप से संवैधानिक सम्मान पर फ़ैसले दिए गए हैं।

आम जनता की प्रतिक्रियाएँ- सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध दोनों ही ज़ोरदार रहे- #LaluVsAmbedkar ट्विटर पर ट्रेंड हुआ।

कुछ लोगों ने कहा, “यह साफ़ तौर पर अपमान है, लालू को अपना रुख़ स्पष्ट करना चाहिए।” कांग्रेस-राजद गठबंधन के उदार रुख पर कई लोगों ने नाराजगी जताई।

Prashant Kishor's attack on Rahul

राजनीतिक रणनीति- प्यार के पीछे की लड़ाई?

प्रशांत किशोर की चुनौती अधूरी आलोचना नहीं है- यह कांग्रेस के लिए लालू/राजद से दूरी करने की परीक्षा भी है। यदि राहुल गांधी खुलकर बोलें तो महागठबंधन की चुनिंदा राजनीति बदल सकती है और कांग्रेस खुद मजबूत स्थिति में नजर आएगी।

विपक्ष की स्थिति- छलावा या जज्बा?

राहुल चुप रहे तो: गठबंधन की मजबूरी दिखेगी, कांग्रेस की नैतिकता पर सवाल उठेंगे। राहुल बोले तो: तो ‘महागठबंधन’ टूट सकता है, संयम की तस्वीर बदल सकती है। निष्कर्ष- अंबेडकर का सम्मान, राजनीति और नैतिक जिम्मेदारी अंबेडकर की तस्वीर का अपमान करना भारतीय राजनीति में नैतिक अपराध है। प्रशांत किशोर की चुनौती समाजवादी नैतिकता की परीक्षा है- “क्या राहुल इस परीक्षा में पास होंगे?”

कांग्रेस के लिए यह समय है– “आपके संयम, आपके गठबंधन का क्या मतलब है?

यह चुनौती भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व की असली परीक्षा होगी।

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाये : Click Here

Read More : – Prashant Kishor’s attack on Rahul : आंबेडकर का सम्मान चाहिए तो लालू के खिलाफ बोलो |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *